Baith Jata Hoon Mitti pe Aksar | Hindi Inspirational Poem


बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है..मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना ।।ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली..
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..!!
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!!
सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता |
शौक तो माँ-बाप के पैसो से पूरे होते हैं,
अपने पैसो से तो बस ज़रूरतें ही पूरी हो पाती हैं..
जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम और
आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है..
कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते..
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते..
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते..
"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह
करता हूँ..
चाहता तो हु की ये दुनियाबदल दू ....
पर दो वक़्त की रोटी केजुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों
महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से कभी ना चला ...!
युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'
अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ??और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???
"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'......
" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाताऔर दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।

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